स्यालना
थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
हम सभ्युं थे मिल जुल करिक,
जे से जु व्हे साकु वो करिक ।
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
जब व्हालु गौं हमारू स्वच्छ,
त लोग सभी व्हाला स्वस्थ ।
सभी गाओं थे ये सीख सिखाण,
उत्तराखंड थे भी स्वच्छ बणाण ।
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
अणसल गदन की गंदगी सारी,
और गंदगी गुजारी की सारी ।
गाँव से दूर बहुत हटाण,
स्यालना थे स्वच्छ बनाण ।
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
व्हालु जब गौं हमारू स्वच्छ,
तभी थ व्हालु देश हमरु स्वस्थ ।
स्यालना थे स्वच्छ बनाण ,
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
सीम क पाणि व्हालु जब साफ ,
व्हालु जब धलगुड़ क पाणि साफ ।
पाणी व्हाला जब सभी साफ ,
तभी त मिट जाला सभी रोग ब्याध।
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
आओ सभी जना करला संकल्प,
ओर कवि नि व्हा मन माँ बिकल्प ।
सारी गंदगी थे जड़ से मिटाण,
स्यालना थे स्वच्छ बनाण ।
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
मनख्यात थे मन याद कारिक,
विनम्रता थे दिल मा रखिक ।
मानिखि नि बाणु मनख्यात कु,
नि व्हा मन मा क्वी भाव बुरे कु ।
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
स्यालना थे स्वस्थ बनाण ।
मानिखि नि हो मानिखि कु बैरी,
हे प्रभु बुरा भाव गाँव से दूर कैरी ।
बुराइयों थे गाँव से दूर हटाण,
स्यालना थे स्वच्छ बनाण ।
स्यालना थे स्वच्छ बन्णाण
ताजवीर सिंह
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